×

Market outlook- 22 अप्रैल 2025: वैश्विक अस्थिरता के बीच संतुलित दृष्टिकोण

आज बाजार ने तगड़ा झटका दिया है।

जैसे-जैसे दुनिया एक और बाजार उतार-चढ़ाव के दिन में कदम रख रही है, भारतीय निवेशक एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट के कारण यह सवाल उठता है: क्या भारतीय बाजार भी गिरावट की ओर बढ़ेंगे, या वे एक अलग रास्ता अपनाएंगे? यहां हम 22 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजारों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण वैश्विक और घरेलू घटनाओं को ध्यान में रखते हुए एक नजर डालते हैं।

वैश्विक प्रभाव: अमेरिकी बाजार की गिरावट

21 अप्रैल 2025 को अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में लगभग 1,200 अंक (-3.3%) की गिरावट आई, और दोनों नैस्डैक और S&P 500 में 3.5% से अधिक की गिरावट हुई। प्रमुख कारणों में राष्ट्रपति ट्रम्प का फेडरल रिजर्व के साथ विवाद और व्यापार नीतियों में अनिश्चितता शामिल हैं।

अमेरिकी बाजारों की चाल भारतीय बाजारों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह हमेशा सीधा या उल्टा संबंध नहीं होता। जबकि अमेरिकी बाजारों में गिरावट से वैश्विक भावना प्रभावित होती है, भारतीय बाजार कुछ घरेलू सकारात्मकता के कारण इससे बच सकते हैं और स्थिर रह सकते हैं।

एशियाई बाजार: मिश्रित संकेत

एशियाई बाजार, जैसे निक्केई, हांग कांग (हैंग सेंग), और शंघाई कंपोजिट, 22 अप्रैल को संभलकर खुल सकते हैं। निक्केई पर वैश्विक जोखिम के कारण दबाव हो सकता है, लेकिन हैंग सेंग और शंघाई में चीन सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाले संकेतों के साथ मामूली सुधार हो सकता है।अगर एशियाई बाजारों में सकारात्मक या स्थिर शुरुआत होती है, तो भारतीय बाजारों की मध्यम सकारात्मक शुरुआत हो सकती है। हालांकि, अगर एशियाई बाजारों में कमजोरी रहती है, तो भारतीय बाजार भी नकारात्मक खुल सकते हैं।

भारतीय बाजार की रणनीति: प्रमुख घरेलू कारक

1. कॉर्पोरेट कमाई का सीजनICICI बैंक, TCS, और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख कंपनियों के तिमाही परिणामों पर ध्यान रहेगा। अगर यहां सकारात्मक नतीजे मिलते हैं, तो ये भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक संकेत हो सकते हैं, जो वैश्विक अस्थिरता के बावजूद बाजार को संभाल सकते हैं।

2. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रभारतीय बैंक, जैसे HDFC बैंक और ICICI बैंक, मजबूत तिमाही परिणामों को दिखा रहे हैं। अगर इनकी कमाई बाजार की अपेक्षाओं को पार कर जाती है, तो ये स्टॉक्स भारतीय बाजार को ऊपर ले जा सकते हैं, खासकर निफ्टी 50 और सेंसेक्स को।

3. मुद्रा और क्रूड तेलभारतीय रुपया हाल ही में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है, जो भारतीय कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। साथ ही, क्रूड तेल की कीमतों में किसी भी उतार-चढ़ाव को भी ध्यान में रखना जरूरी होगा, क्योंकि भारत एक बड़ा तेल आयातक है।

तकनीकी दृष्टिकोण: निफ्टी और सेंसेक्स के स्तर पर नजर

• समर्थन स्तर: निफ्टी के लिए 22,450 एक महत्वपूर्ण समर्थन स्तर है, वहीं सेंसेक्स के लिए 58,500 का समर्थन स्तर है।

• प्रतिरोध स्तर: निफ्टी के लिए 22,700 और सेंसेक्स के लिए 59,200 के आसपास प्रतिरोध स्तर हो सकते हैं।

अगर ये समर्थन स्तर मजबूत रहते हैं, तो हम बाजार में स्थिरता देख सकते हैं और हो सकता है कि बाजार थोड़ी तेजी से आगे बढ़े, हालांकि वैश्विक दबाव बना रह सकता है।

वैश्विक जोखिम बनाम घरेलू सकारात्मकता: क्या उम्मीद की जाए

अमेरिकी बाजारों की कमजोरी के बावजूद, भारतीय बाजारों को इस वैश्विक जोखिम को संतुलित करने के लिए घरेलू दृष्टिकोण के साथ एक अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा। निवेशकों को प्रमुख तिमाही परिणामों और अन्य घरेलू कारकों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये वैश्विक अस्थिरता के बीच भारतीय बाजारों को समर्थन प्रदान कर सकते हैं।

Post Comment