छत्तीसगढ़ में OBC आरक्षण पर फंसा विधेयक: भूपेश बघेल का बड़ा हमला, राज्यपाल के रुख को लेकर जताई चिंता
छत्तीसगढ़ में 27% OBC आरक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान फिर तेज हो गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा है कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने वाला विधेयक अब भी राजभवन में लंबित है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि किसी भी विधेयक को तीन महीने से अधिक रोका नहीं जा सकता।
क्या कहा भूपेश बघेल ने?
भूपेश बघेल ने कहा,”हमारी सरकार में हमने पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने हेतु विधेयक लाया था, वो आज भी राजभवन में अटका हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी एक आदेश दिया है जो कहता है कि महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल किसी भी विधेयक को 3 महीने से अधिक रोक नहीं सकते। अब राज्यपाल महोदय इस बिल को या तो स्वीकार करेंगे या फिर विधानसभा को लौटाएंगे।”उन्होंने OBC समाज को सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि अगर विधेयक वापस विधानसभा को भेजा जाता है, तो यह संकेत होगा कि सरकार किस दिशा में जा रही है। उन्होंने कहा कि OBC वर्ग को अपने अधिकारों के लिए सजग रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना दबाव
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि कोई भी राज्यपाल या राष्ट्रपति किसी विधेयक को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते। कोर्ट ने तीन महीने की समयसीमा को व्यवहारिक सीमा मानते हुए विधायी प्रक्रिया को समयबद्ध करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
यह फैसला सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ के OBC आरक्षण विधेयक को प्रभावित करता है, जो कई महीनों से राजभवन में स्वीकृति के इंतज़ार में है।OBC आरक्षण की पृष्ठभूमिबघेल सरकार ने अपने कार्यकाल में OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने का फैसला लिया था। इसके लिए विधानसभा में विधेयक पारित किया गया, जिसे राज्यपाल की मंज़ूरी के लिए भेजा गया। लेकिन अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस बीच OBC समाज के भीतर नाराजगी और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
https://x.com/bhupeshbaghel/status/1911726242946048202?t=lZ5dnJTJWUllMxt20CIa_w&s=19

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्यपाल के पास अब दो ही रास्ते हैं:
• विधेयक को स्वीकृति देकर कानून बनाना
• या फिर इसे पुनर्विचार हेतु विधानसभा को वापस भेजना
यदि विधेयक वापस भेजा जाता है, तो यह एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक विवाद का कारण बन सकता है। वहीं यदि स्वीकृति मिलती है, तो OBC समाज को बड़ा लाभ मिलेगा।
OBC आरक्षण का मुद्दा अब संवैधानिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर निर्णायक मोड़ पर है। भूपेश बघेल के बयान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी की निगाहें राज्यपाल के निर्णय पर टिकी हैं। आने वाले कुछ दिन छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम साबित हो सकते हैं।
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